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लेखनी प्रतियोगिता -05-Jul-2022 मुक्तक : मौसम बारिश का

मुक्तक 
तर्ज : कोई दीवाना कहता है 

बेदर्दी बड़ा बेईमान मौसम बारिश का आया 
विरह की ज्वाला को जिसने और है धधकाया 
तेरी यादों के आंसू में डुबो जाता है जान ए मन 
दिल के तारों ने हमदम प्रीत का गीत फिर गाया 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
5.7.22 


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10 Comments

Chudhary

07-Jul-2022 12:09 AM

Nice

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Shrishti pandey

06-Jul-2022 01:29 PM

Nice

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Swati chourasia

06-Jul-2022 06:13 AM

बहुत खूब 👌

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